AIRO INTERNATIONAL RESEARCH JOURNAL
VOLUME-III
ISSN: 2320-3714
Date of Publication: June 2014
डॉ. राममनोहर लोहिया के सिद्धांतों का दर्शन
डॉ. राम कुमार गुप्ता
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प्रस्तावना
जन्म - २३ मार्च १९१०
स्थान - अकबरपुर, फैज़ाबाद
कार्यक्षेत्र - लेखक, स्वतंत्रता सैनानी, राजनेता
राममहनोहर लोहिया जी एक कुशल लेखक भी थे उन्होंने काफी कुछ अपनी पुस्तक में लिखा । वे अपनी प्रखर देशभक्ति व तेजसवीसमाज वादी विचारो के लिए जाने गए ।
उनका बचपन:
उनकी माँ एक शिक्षिका थी । वे बहुत छोटे थे जब उनकी माँ का निधन हो गया अपने पिता से उन्होंने काफी कुछ सीखा । उनके पिता एक देशभक्त थे । राममनोहर लोहिया का निधन ५७ साल की उम्र में १२ अक्टूबर १९६७ को नयी दिल्ली में हो गया । २३ मार्च को सम्पूर्ण भारत में लोहिया जयन्ती मनायी जाती है ।
राममदनोहर लोहिया एक ऐसे नेता और राजनैतिक थे जिनके सोचने के तरीकों ने सबको बहुत प्रभावित किया । वे अपने विचारों के लिए भारतीय गलियारों के साथ लड़ते रहे उनकी सबसे ज्यादा बहस भाषा पर हुई । उन्होंने जातिवाद और लिंग पृथक्कर की राजनैतिक सिद्धांतों का पुनर्निर्माण किया ।
दशको बीत गए लेकिन आज भी उनके चुनाव के सिद्धांतों का उपयोग किया जाता है ।
राजाराम ने तर्क दिया कि लोहिया के लिए भारत में सोशलिस्ट परियोजना सिद्धांत में
सहायता लेनी चाहिए राममनिहार लोहिया अंग्रेजी आधुनिकता की भाषा और किसी भी राष्ट्र
आदि को विकसित करने लिए ज़रूरी बताया । उनके कुछ महत्त्वपूर्ण दावे थे जो निम्न
प्रकार है :-
1. विश्व के साथ संचार ।
2. एक साथ रहने का दावा ।
3. विकास का दावा ।
4. वैज्ञानिक दावा ।
5. उन्होंने अंग्रेजी को उस समय तक प्राथमिकता देना बताया जब तक की हमारी
भाषा प्राप्त रूप से विकसित न हो जाये ।
सबसे पहले बात करते है स्वतंत्रता की जो गांधीजी के नेतृत्व में मिली । स्वतंत्रता के बाद संविधान शुरू कर दिया गया फिर भाषा के नाम पर संदेह बहस और अविश्वास ने स्वतंत्रता नारे की जगह ले ल । पार्टियों भारतीय भाषा थोड़ा टाइम देना के लिए हामी कर दी और अंग्रेजी को ज़रुरत के हिसाब से भाषा रख दी गयी और यह राष्ट्रभाषा अधिनियम १९६३ के साथ और जटिल हो गया । इस पर लोहिया जी ने देखा कांरेस के १५ साल राज में उन्होंने दो छेजे की, एक तो उन्होंने समितियां नियुक्त की जो हिंदी व अन्य भाषाओँ के विकास पर ध्यान दे और दूसरी तरफ तकनीकी शिक्षा में यह उलट साबित हुआ । अंग्रेजी आधुनिक भाषा है और दुनिया की खिड़की भारत के लिए खुली रहे । इसके लिए अंग्रेजी की प्रमुखता को भी उन्होंने ध्यान देने योग्य बताया लेकिन इस नक़ल के चलते भारतीय संस्कृति और भारतीय भाषा का जो हाल होगा उसको उन्होंने प्राथमिकता दी और अंग्रेजी हटाओ अभियान चलाया ।
राजनीति राम मोहन लोहिया राजनैतिक गन्दी गली मे भी अशुद्ध आचरण की बात करने वाले आदमी थे । वो केवल एक ऐसे आदमी थे, जिन्होंने सरकार से त्याग माँगा क्योंकि उस सरकार की साशन में आन्दोलनकारीयों पर अत्याचार किये गए थे व गोलियां भी चलाई गयी थी ।
क्योंकि उस सरकार की साशन में आन्दलोनकारियों पर अत्याचार किये गए थे । व गोलियाँ भी चलाई गयी थी उन्होंने कहा था की हिंदुस्तान की राजैनतिक में तब सफाई और भलाई आएगी जब किसी पार्टी के खराब काम की निंदा उसी पार्टी की निंदा उसी पार्टी के लोग करे व पार्टी को छोड़े पार्टी के साथ नेता लोग न चले पहले देश की लोगो का साथ ले फिर पार्टी के साथ आये । उन्होंने कहा था की हम ही पुरे हिंदुस्तान में ऐसी पार्टी है जिन्होंने अपनी सरकार की थी निंदा की थी और निंदा के साथ उस सरकार को हटा भी दिया गया ।
उपसंहार
डॉ राम मोहन लोहिया एक चिंतक ही नही कर्मवीर भी थे । उन्होंने अनेक सामाजिक व सांस्कृतिक आंदोलन का नेतृत्व किया वी शुद्ध राजनीतिज्ञ थे उन्होंने अंग्रेजी को भारत से हटाने के लिए अंग्रेजी हटाओ आंदोलन चलाया उन्होंने अपनी पुस्तक 'गिल्टी मेन एंड इंडियाज़ पार्टीशन ' में भी काफी रहस्यो को खोला ।
सन्दर्भ :-
रवि किशोर मनमोहन लोहिया के सिद्धांत
१९९८ पेज १११
श्याम सुन्दर अंग्रेजी के विकास में लोहिया के विचार १९९७ पेज ९२-९६
रघुराम दस गोखले भारत विभाजन पर राममनोहर लोहिया २००१ पेज नो. ७९
रामप्रसाद दास और विक्रम कुमार डॉ. राममनोहर लोहिया एक क्रांतिकारी १९९८ पेज १०२-
१०६
गोपीनाथ पिलाई, राजनैतिक क्यारी के जनक राममनोहर लोहिया १९९९ पेज नो. ६९
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